गुरुवार, 25 सितंबर 2025

भारत ने बांग्लादेश को 41 रन से हराकर एशिया कप 2025 का फाइनल टिकट पक्का किया

शीर्षक: भारत ने बांग्लादेश को 41 रन से हराकर एशिया कप 2025 का फाइनल टिकेट पक्का किया


परिचय

आज का मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था। एशिया कप 2025 के सुपर-4 मुकाबलों में भारत बनाम बांग्लादेश (India vs Bangladesh) की भिड़ंत ने दर्शकों की धड़कनें बढ़ा दीं। आज की जीत ने भारतीय टीम को न सिर्फ आत्मविश्वास दिया बल्कि उन्होंने फाइनल में प्रवेश कर एशिया कप खिताब की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाया।  

 


मैच का सारांश

  • भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 168/6 का सम्मानजनक स्कोर बनाया।
  • शीर्ष क्रम से अभिषेक शर्मा ने धमाकेदार 37 गेंदों में 75 रन की पारी खेली, जिसने भारतीय पारी को गति दी।
  • शुभमन गिल ने 29 रन का योगदान दिया और उन्होंने अभिषेक के साथ साथ शुरुआत को मज़बूती प्रदान की।
  • मध्य क्रम में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं हो पाया, लेकिन हार्दिक पांड्या ने 38 रन की पारी खेलकर टीम को 150 पार पहुँचाया।
  • बांग्लादेश की पारी 127 रनों पर सिमट गई (19.3 ओवर में ऑलआउट)
  • कुलदीप यादव ने स्पिन विभाग में कमाल का प्रदर्शन किया और 3 विकेट / 18 रन का स्पैल दिया।
  • अन्य गेंदबाजों ने भी भूमिका निभाई: वरुण चक्रवर्ती, जसप्रीत बुमराह, और आक्सर पटेल ने विकेट लिए।
  • बांग्लादेश की तरफ से सैफ हासन ने संघर्ष की पारी खेली और 69 रन बनाए, लेकिन टीम की हार नहीं टाल सके।

इस तरह, भारत ने 41 रन की आसान जीत दर्ज की और एशिया कप 2025 के फाइनल में अपनी जगह पक्की की।




भारत बनाम बांग्लादेश – रणनीति और खास पल

भारत की रणनीति

  1. आक्रामक शुरुआत: भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी का फैसला किया। इस रणनीति का मकसद शुरुआत से दबाव बनाना था।
  2. खुला खेल प्रदर्शन: अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल ने पहले विकेट के लिए 77 रन की साझेदारी की। इस ओपनिंग साझेदारी ने विरोधी टीम को बैकफुट पर धकेल दिया।
  3. स्पिन आक्रमण: डूले के बाद गेंदबाजी में भारत ने स्पिनर को बढ़ाया। कुलदीप यादव की गेंदबाज़ी और वरुण चक्रवर्ती की चतुर गेंदबाज़ी ने बांग्लादेश को कठिनाई में लाया।
  4. समय प्रबंधन: भारत ने ओवरों को अच्छे से बांटा। शुरुआती overs में आक्रामकता दिखाकर बीच-औवर्स में नियंत्रण बरकरार रखा।

बांग्लादेश की रणनीति और गलतियाँ

  1. टॉस हारना: बांग्लादेश ने टॉस हारकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। यह फैसला भारत को आराम से शुरुआत करने का मौका दे गया।
  2. कम भरोसा गेंदबाज़ों पर: शुरुआत में अभिषेक को आसान मौका मिलने पर कैच नहीं हुआ, जिसने भारत को पहली पारी बढ़ाने का अवसर दिया।
  3. मध्यम पारी न देना: टीम बिखर गई थी और केवल सैफ हासन ने संघर्ष किया। बाकी बल्लेबाज बेहतर जवाब नहीं दे पाए।
  4. स्पिन के आगे ढहना: भारत के स्पिन आक्रमण ने बांग्लादेशी बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला। उन्होंने स्पिनर्स के खिलाफ कोई ठोस जवाब नहीं दिया।

खास पल

  • अभिषेक शर्मा का 37 गेंदों में 75 रन: यह पारी मैच का टर्निंग पॉइंट रही।
  • कुलदीप यादव का 3/18: स्पिन विभाग में भारत की पूरी टीम को संभाला।
  • सैफ हासन की 69 रन की पारी: बांग्लादेश की उम्मीदों को कुछ देर तक जीवित रखा।
  • रन आउट और विकेट गिरने का सिलसिला: बांग्लादेश की पारी जल्दी ध्वस्त हो गई।

मुकाबला विश्लेषण और शिक्षा

  1. ओपनर्स की अहमियत
    भारत ने शुरुआत में ही दबदबा बनाया। यदि बांग्लादेश ने शुरुआत में विकेट लिए होते, तो स्थिति बदल सकती थी।

  2. स्पिन शक्ति
    आज का मैच दर्शाता है कि धीमी गेंदबाज़ी और स्पिन आक्रमण किस प्रकार मुकाबला पलट सकते हैं।

  3. मध्यम क्रम की चुनौतियाँ
    भारत का मध्य क्रम थोड़ा कमजोर दिखा, यह क्षेत्र सुधार की गुंजाइश छोड़ता है।

  4. डिफेंसिव मानसिकता
    बांग्लादेश को चाहिए था कि वह अधिक जोखिम न ले और विकेटों को बचाकर खेलते। लेकिन दबाव में उनकी पारी ढह गई।


भारत बनाम बांग्लादेश की क्रिकेट इतिहास में यह मैच

भारत और बांग्लादेश के बीच क्रिकेट मुकाबले हमेशा दिलचस्प रहे हैं। भारत का पलड़ा पारंपरिक रूप से भारी रहा है।
आज की जीत भारत की जीतों की लड़ी में एक और जोड़ रही है।


भविष्य के मौके और अगले कदम

  • भारत अब फाइनल में सामना करेगा — किस टीम से यह मुकाबला होगा, यह पाकिस्तान-बांग्लादेश मैच के परिणाम पर निर्भर करेगा।
  • बांग्लादेश के लिए अगला मुकाबला महत्व रखता है — यदि वे पाकिस्तान को हरा देते हैं, तो फाइनल की खिड़की खुल सकती है।
  • भारत को फाइनल में रणनीतिक रूप से बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा, खासकर मध्य क्रम और गेंदबाज़ी में संतुलन के साथ।

 

सोमवार, 22 सितंबर 2025

रोलर स्केटिंग के पूर्व महासचिव ने किया घोटाला

 भारत में आज रोलर स्केटिंग का हाल इस समय कुछ ऐसा है जहाँ भारत के खिलाडी इसका नाम दुनिया भर में ऊचा  कर रहे है वही दूसरी तरफ इस फेडरेशन के पूर्व महासचिव ने अपने कार्यकाल में ना जाने कितने घोटाले किये और अपने शक्तिका अच्छे से दुरूपयोग  किया आज महासचिव खेल नियम के अनुसार फेडरेशन में नहीं है लेकिन उन्हें आज भी फेडरेशन के हर काम अपना अधिकार दिख रहा है 
अध्यक्ष कर रहे है नियमो का हनन 
इस फेडरेशन के मौजूदा समय में अधयक्ष तुलसीराम अग्रवाल जो आज भी अपने पुराने साथी का पूरा साथ निभा रहे है।  हाल ही इस फेडरेशन में चुनाव हुए जिसमे नियम के अनुसार नए महासचिव के तौर पर भगीरथ को बबनय गया लेकिन पूर्व महासचिव ने आज तक नए महासचिव को कार्यालय का काम नहीं दिया आज भी सभी काम वो खुद करना चाहते है।  कई सूत्रों से ये भी पता चला है की पूर्व महासचिव को आज भी यही लगता है की वो अभी भी महासचिव है और सभी शक्तिया उन्ही के पास आखिरकार उन्हें कौन बताये की चुनाव होने के बाद सत्ता की रोटी नहीं खा सकते है।  अब सरकार नया है और काम भी नए तरीके से होगा लेकिन पूर्व महसचिव को  गवारा नहीं।  

कई सूत्रों से ये भी पता चला है की नया महासचिव ें एक पत्र अध्यक्ष को लिखा है और उसमे ये बात कही है की पूर्व महासचिव ने कई घोटाले किये जिसकी जानकारी उनके पास है और उन्होने इन सभी से अपना पल्ला हटा लिया और साफ़ साफ़ शब्दों में ये कह दिया है की इन सभी में उनको कोई जमकारी नहीं है ये सभी काम  पूर्व महसचिव के कार्यकाल में हुआ है। ये हमारा एक अंदाजा है की इसमें  एक अच्छी खासी रकम है इससे यह पता चलता है कि रोलर स्केटिंग में घोटाला कोई आम बात नहीं है 

एशिया कप 2025 सुपर-4: भारत ने पाकिस्तान को 6 विकेट से हराया, अभिषेक शर्मा की 74 रन की तूफानी पारी ने दिलाई जीत" ।

भारत ने एशिया कप 2025 सुपर फोर में पाकिस्तान को 6 विकेट से हरा दिया है, जिसमें भारतीय टीम ने 172 रनों का लक्ष्य 18.5 ओवर में हासिल किया। इस मैच में अभिषेक शर्मा ने शानदार 74 रन (39 गेंद) और शुभमन गिल ने 47 रन बनाए, जिससे भारत की जीत आसान हो गई।

मैच का संपूर्ण लेखा-जोखाभारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी, और पाकिस्तान ने निर्धारित 20 ओवर में 171/5 रन बनाए। पाकिस्तान की ओर से साहिबज़ादा फरहान ने 58 रन तथा सईम अयूब ने 21 रन बनाकर अपनी टीम को बेहतर शुरुआत दिलाई, लेकिन भारत के गेंदबाजों ने बीच के ओवरों में वापसी की। शिवम दुबे ने अहम मौके पर दो विकेट लेकर पाकिस्तान के रन गति को रोक दिया।भारतीय पारी की ख़ासियतभारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए शुरुआती 100+ रन की साझेदारी बनाई, जिसमें अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल ने बिना विकेट गंवाए रन बनाए। भारत ने पावरप्ले में आक्रामक बल्लेबाज़ी दिखाकर विपक्ष को दबाव में रखा। अंत में तिलक वर्मा और हार्दिक पांड्या ने टीम को जीत की ओर अग्रसर किया।
मैच के दौरान विवाद और खास पलपिछली भिड़ंत की तरह इस बार भी हाथ मिलाने को लेकर विवाद की खबरें आईं। दोनों कप्तानों सूर्यकुमार यादव और सलमान आगा टॉस के वक्त एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाए। इसके साथ ही हार्दिक पांड्या ने पाकिस्तान के खिलाफ आठ पारियों में सबसे ज्यादा 15 विकेट लेकर अपना अलग स्थान स्थापित किया।

स्कोरकार्ड संक्षिप्तएक्सपर्ट की राय रवि शास्त्री ने पाकिस्तान को बिना डर के खेलने की सलाह दी, जबकि सुनील गावस्कर के अनुसार संजू सैमसन को ऋषभ पंत की गैरहाजिरी से टीम में मौका मिला।
मैदान और पिच की भूमिकादुबई इंटरनेशनल स्टेडियम की पिच पर इस बार अच्छी तेजी देखने को मिली और बल्लेबाज़ों को रन बनाने में मदद मिली। स्पिनर्स को शुरुआती मुकाबलों में किनारे करना पड़ा, लेकिन सिर्फ विविधता दिखाने वाले पेसर्स को ही सफलता मिली।एशिया कप सुपर फोर के इस जुनूनी मुकाबले में भारत ने एक बार फिर अपना दबदबा कायम किया और लाखों दर्शकों को रोमांच से भर दिया।

शनिवार, 20 सितंबर 2025

टेनिस क्रिकेट में उभरता खिलाडी का जीवन

भारत आज दुनिया का सब बड़ा क्रिकेट का बाजार एबीएन गया है जहाँ हर उम्र के खिलाडी आप को खेलते हए मिल जाएगने इसमें कोई उम्र का खिलाडी किसी के भी साथ खेल सकता  है बस उसे खेलना आना चाहिए बैटिंग और बोलिंग दोनों में से किसी एक में उसकी अच्छी महारथ होना जरुरी है जिससे उसे खिलाया जा सके।  

 

भारत में टेनिस क्रिकेट में करियर

भारत एक ऐसा देश है जहाँ क्रिकेट सिर्फ़ खेल नहीं, बल्कि एक धर्म माना जाता है। चाहे गली-मोहल्ले हों, बड़े मैदान हों या फिर किसी शहर के कोने में बने छोटे मैदान – हर जगह क्रिकेट देखने और खेलने को मिलता है। पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट का एक नया और लोकप्रिय रूप सामने आया है जिसे टेनिस क्रिकेट कहा जाता है। यह खेल विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में बेहद लोकप्रिय हो रहा है। टेनिस बॉल से खेले जाने वाला यह क्रिकेट न केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि आजकल कई युवाओं के लिए करियर का विकल्प भी बन गया है।


टेनिस क्रिकेट क्या है?

टेनिस क्रिकेट, सामान्य क्रिकेट की तरह ही खेला जाता है, फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें हार्ड लेदर बॉल की जगह टेनिस बॉल का उपयोग किया जाता है। इस बॉल से खेलना अपेक्षाकृत आसान और सुरक्षित माना जाता है। इसके लिए बड़े मैदान, महंगी किट या पेशेवर उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि यह खेल तेजी से युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है।

टेनिस क्रिकेट की लोकप्रियता

भारत में गली क्रिकेट तो हमेशा से ही मशहूर रहा है, लेकिन संगठित रूप से टेनिस क्रिकेट टूर्नामेंट का चलन पिछले एक दशक में बहुत बढ़ा है। छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक हर सप्ताह या महीने टेनिस क्रिकेट लीग आयोजित की जाती हैं। इनमें विजेता टीमों और खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार, ट्रॉफी और अन्य प्रोत्साहन दिए जाते हैं। कई बड़े स्पॉन्सर और स्थानीय व्यवसायी भी इन टूर्नामेंट्स को समर्थन देने लगे हैं।



टेनिस क्रिकेट और करियर की संभावनाएँ

1. पेशेवर खिलाड़ी के रूप में

आजकल कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो सिर्फ़ टेनिस क्रिकेट खेलकर अपनी पहचान बना चुके हैं। इनमें कृष्णा सातपुते (Krishna Satpute), उस्मान पटेल (Usman Patel), सफराज बहुबली (Safaraj Bahubali) और करन अम्बाला (Karan Ambala) जैसे नाम शामिल हैं। इन खिलाड़ियों ने अपनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी से दर्शकों का दिल जीता है। इनके मैचों की वीडियो यूट्यूब और सोशल मीडिया पर लाखों लोग देखते हैं। प्रसिद्धि और लोकप्रियता के साथ-साथ इन्हें अच्छी आमदनी भी होती है। बड़े टूर्नामेंट्स में खेलने वाले खिलाड़ियों को 50,000 से लेकर लाखों रुपये तक का इनाम मिलता है।

2. सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स

टेनिस क्रिकेट में करियर बनाने का एक और बड़ा माध्यम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स हैं। खिलाड़ी अपने खेल की वीडियो यूट्यूब, इंस्टाग्राम या फेसबुक पर डालकर फॉलोअर्स बढ़ा सकते हैं। कृष्णा सातपुते और करन अम्बाला जैसे खिलाड़ियों की लोकप्रियता काफी हद तक सोशल मीडिया से ही बढ़ी है। इससे न केवल पहचान मिलती है बल्कि स्पॉन्सरशिप और विज्ञापन के ज़रिए कमाई भी होती है।

3. कोचिंग और ट्रेनिंग

टेनिस क्रिकेट में विशेषज्ञता रखने वाले खिलाड़ी बच्चों और युवाओं को प्रशिक्षण देकर भी करियर बना सकते हैं। कई अकादमियाँ टेनिस बॉल से शुरुआती क्रिकेट सिखाती हैं। वहाँ एक कोच के रूप में अच्छा वेतन और सम्मान दोनों मिल सकता है।

4. इवेंट मैनेजमेंट और टूर्नामेंट ऑर्गेनाइज़र

अगर आप खेलना नहीं चाहते, तो टेनिस क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करके भी करियर बनाया जा सकता है। कई लोग बड़े स्तर पर लीग और प्रतियोगिताएँ आयोजित करके प्रसिद्ध हुए हैं। इससे न केवल नेटवर्क बढ़ता है बल्कि प्रायोजकों और खिलाड़ियों से अच्छा लाभ भी होता है।

5. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अवसर

हालाँकि टेनिस क्रिकेट को अभी आधिकारिक तौर पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) मान्यता नहीं देता, लेकिन कई निजी संगठनों और फेडरेशनों द्वारा बड़े-बड़े टूर्नामेंट आयोजित किए जा रहे हैं। इनसे खिलाड़ियों को पहचान और आगे बढ़ने का मौका मिलता है।


टेनिस क्रिकेट का उज्ज्वल भविष्य

इन चुनौतियों के बावजूद टेनिस क्रिकेट की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। भारत के कई राज्य जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में टेनिस क्रिकेट लीग बड़े पैमाने पर आयोजित की जाती हैं। इनका स्तर इतना बड़ा है कि इन्हें मिनी-आईपीएल भी कहा जाने लगा है।

भविष्य में अगर इसे सरकारी और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलती है, तो खिलाड़ियों के लिए यह स्थायी करियर का रूप ले सकता है। इसके साथ ही मीडिया और स्पॉन्सर कंपनियों के जुड़ने से खिलाड़ियों को बेहतर अवसर मिलेंगे।

शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

नीरज हुए चोटिल भारत की उम्मीद टूटी

नीरज चोपड़ा भारत के अभी तक के सबसे उछत्तम खिलाडी में से एक है जिन्होंने भारत एथलेटिक्स का नाम सारी दुनिया में डंका बजा कर सबसे बुलवाया है।  लेकिन जैसे जैसे नीरज अपनी प्रतियोगिता की तयारी करते रहते है वैसे ही उनके चाहने वालो की भी इच्छा भी होती है की नीरज इस बार भी मैडल के साथ अपने देश भारत का नाम गर्व से ऊचा करे। 


लेकिन टोक्यो में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स में भारत की उम्मीदों को बहुत ही बड़ा झटका लगा जब नीरज अपने भले के साथ उसे फेकने जा रहे थे तो वह दर्द में दिखे , ये ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब किसी खिलाडी को बीच मैदान में कोई चोट लगी हो नीरज ने अपने सोशल मीडिया में लिखा क
" मुझे पहले से ही दर्द महसूस होरहा था मुझे लगा की मैं खेल लूंगा लेकिन मेरा दर्द ने मेरा साथ नहीं छोड़ा , मुझे इस बात की ख़ुशी है की सचिन ने अपना बेस्ट प्रदर्शन  दिया है और 86 मी का थ्रो किया है , मैं सभी जितने वाले खिलाडी को बधाई देता हूँ।  मैं साथ की वापिस आऊंगा।  

फिआल में नीरज के साथ सचिन भी भारत टीम का प्रतिनिधि कर रहे थे नीरज जहाँ 9वे स्थान पर रहे वही सचिन सिर्फ 40 से मी से चूक है नहीं तो सचिन मैडल के साथ भारत लौटते लेकिन अब ये नहीं हो सकता है , अभी कुछ इवेंट बाकि है जसिमे भारत को उम्मीद है की मैडल आने की आसार है देखना  की इस बार  भारत के लिए कौन मैडल लेकर  आता है।  या फिर इस साल भारत को खाली हाथ लौटना पड़ेगा।  

भारत बनाम पाकिस्तान एक बार फिर से एशिया कप में

 भारत-पाकिस्तान के बीच में एक बार फिर से एशिया कप में होने जा रही है भिड़ंत जहां पिछली बार का मुकाबला भारत में बहुत ही आसानी से जीत लिया था।  कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस बार भी नतीजा भारत के पक्ष में ही होंगे क्योंकि मौजूदा समय में देखा जाए तो पाकिस्तान की टीम में कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो अकेले अपने दम पर मैच जीत सके।  वहीं भारत में कई ऐसे चेहरे हैं जो कभी भी किसी भी समय मैच का रुख बदल सकते हैं अगर गेंदबाजी पैमाने से देखा जाए तो भारत के पास कुलदीप यादव जसप्रीत बुमराह हार्दिक पांड्या जैसे धुरंधर खिलाड़ी हैं जो किसी भी ओवर में किसी भी खिलाड़ी को आउट करने का हुनर रखते हैं।  वहीं पाकिस्तान की तरफ से सिर्फ उनकी इकलौती उम्मीद शाहीन अफरीदी से लेकिन उसकी पिछली बार भारत के सलामी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा ने पहले ही ओवर में बता दिया था कि वह किस तरीके की बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं यह भी कहा जाता हैकि अभिषेक शर्मा के गुरु बतौर  छह छक्के लगाने वाले  बादशाह युवराज सिंह ने उन्हें तैयार किया है और अपने सारे गुण दिए हैं।  



 इससे यह देखा जा सकता है कि अभिषेक शर्मा में किस प्रकार की प्रतिभा होगी और उनके साथ जो भी खिलाड़ी उतरेगा वह इस ही रवैया से खेलेगा जैसा उसे खेलना चाहिए पिछले बार पाकिस्तान में बहुत कम ही स्कोर में अपने आप को समेत लिया था।  अगर इस बार पहले बैटिंग पाकिस्तान की होती तो भारत की पूरी उम्मीद होगी कि पाकिस्तान की पूरी टीम को चल 140 रनों तक ही समेट ले ताकि आने वाले समय में पाकिस्तान का कोई भी दिक्कत बॉलर  इस प्रकार भारत को तंग ना करें क्योंकि बड़े स्कोर होने के बाद खेल में मजा बदल जाता है और अगर देखा जाए अभी तक के आंकड़ों के हिसाब से तो भारत आईसीसी के सभी बड़े टूर्नामेंट में पाकिस्तान को मैच गवाते  हुए देखी गई है। 

 लेकिन समय का कुछ भी नहीं कहा जा सकता किसी भी समय खेल का रुख बदल सकता है और वह किसी के पक्ष में भी जा सकता है।  लेकिन अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पाकिस्तान भारत से बहुत ही पीछे है । क्योंकि जब तक धोनी थे तो यह खेल बिल्कुल ही अलग था लेकिन अब कप्तान बतौर सूर्यकुमार यादव है एक नए जोश के साथ एक नई टीम के साथ जो किसी भी टीम को ध्वस्त करने का पूरा दमखम रखते हैं।  ये भारत के पास अच्छा अवसर होगा जब वो एक बार फिर से एशिया कप को जीत कर एक नया रिकॉर्ड बना दे।  भारत और पाकिस्तान का हाई वोल्टेज वाला मैच रविवार को होगा भारत और दुनिया भर के क्रिकेट के जानकारों का ये मानना है की इस बार भी भारत को ही जीत मिलने वाली है पाकिस्तान की बोलिंग अभी उतनी बेहतर नहीं है।  इस समय की पाकिस्तान  टीम के पास बड़े मैच खेलने का कोई ज्यादा अनुभव भी नहीं है जो इस मैच में कभी भी मैच का रुख  बदल दे।  


मंगलवार, 2 सितंबर 2025

भारत ने एशिया कप हॉकी में कजाकिस्तान को 15-0 से रौंदा, सुपर 4 में दमदार एंट्री

 एशिया कप 2025 के राजगीर (बिहार) हॉकी स्टेडियम में भारत ने कजाकिस्तान पर जोरदार हमला करते हुए 15-0 की ऐतिहासिक जीत दर्ज की। पूरे मैच में भारतीय टीम का दबदबा रहा और हर क्वार्टर में गोलों की बारिश देखने को मिली। यह मुकाबला भारत के लिए सिर्फ जीत नहीं थी, बल्कि अपनी आक्रामकता और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन भी था.

शुरुआती मिनटों से ही धुआंधार खेल

पहली क्वार्टर में ही भारत ने तेजी से शुरुआत की। पांचवें मिनट में अभिषेक ने गोल करके टीम को लीड दिलाई, लक्ष्य की राह में भारत लगातार आगे बढ़ता गया। अभिषेक ने 5वें, 8वें, 20वें और 58वें मिनट में चार गोल किए, वहीं सुखजीत सिंह ने 15वें, 32वें, और 38वें मिनट में हैट्रिक लगाई। जुगराज सिंह ने 24वें, 31वें, और 47वें मिनट में शानदार हैट्रिक जमाई। कप्तान हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, राजिंदर सिंह, संजय और दिलप्रीत सिंह ने भी शानदार फील्ड गोल्स किए



रणनीति और टैक्टिक्स की छाप

भारतीय टीम ने खेल में अपनी रणनीतिक गहराई भी दिखाई। पेनल्टी कॉर्नर और स्ट्रोक पर टीम की फिनिशिंग काबिल-ए-तारीफ रही। डिफेंडिंग और मिडफ़ील्ड का तालमेल इतना बेहतरीन था कि कजाकिस्तान को मौके ही नहीं मिले। कोच क्रेग फुल्टन की योजना और खिलाड़ियों का अनुशासन, हर मिनट में साफ नजर आया

शानदार खिलाड़ी और उनके गोल्स

  • अभिषेक: 4 गोल (5', 8', 20', 58')

  • सुखजीत सिंह: हैट्रिक (15', 32', 38')

  • जुगराज सिंह: हैट्रिक (24', 31', 47')

  • हरमनप्रीत सिंह: 26'

  • अमित रोहिदास: 29'

  • राजिंदर सिंह: 32'

  • संजय: 47'

  • दिलप्रीत सिंह: 54'

यहां अभिषेक की शानदार फिनिशिंग, सुखजीत और जुगराज की स्ट्रोक्स का संयोजन, कप्तान हरमनप्रीत की करतब और डिफेंडिंग लाइन की मजबूती ने भारत को 'सुपर 4' में शीर्ष स्थान दिलाया

टीम का मनोबल और आगे की राह

इतनी बड़ी जीत के बावजूद टीम ने खेल को हल्के में नहीं लिया। कोच फुल्टन ने कहा, “सम्मान के साथ खेलना, किसी भी मैच को चोटिल हुए बिना समाप्त करना, यह लक्ष्य था। अब अगला मुकाबला सुपर 4 में और बड़े प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ है, जिसके लिए टीम ने खुद को मानसिक रूप से तैयार किया है।” अब भारत का सामना कोरिया, मलेशिया और चीन से होना है

भीषण गर्मी में भी रहा शानदार प्रदर्शन

राजगीर में 42 डिग्री सेल्सियस की लू में भी खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया। भले कजाकिस्तान कमज़ोर टीम रही हो, लेकिन भारत ने मैच की गति को नियंत्रण में रखते हुए कोई मौका नहीं गंवाया। फॉरवर्ड लाइन की पैठ, डिफेंस की मजबूती और गोलकीपर की सतर्कता ने कजाकिस्तान को गोल करने का कोई मौका ही नहीं दिया

फैन्स का उत्साह और स्टेडियम का माहौल

स्टेडियम में मौजूद भारतीय दर्शकों का जुनून देखने लायक था। हर गोल पर तालियों की गड़गड़ाहट, हर पास पर जयकारों की शोर और खिलाड़ियों की जीत का जश्न—राजगीर उस रात भारतीय हॉकी के जश्न का रंग बन गया

सिंधिया बने मध्य प्रदेश क्रिकेट के नए अध्यक्ष

 महानार्यमन सिंधिया का मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुना जाना प्रदेश के क्रिकेट इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। सिंधिया परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में 29 वर्षीय महानार्यमन अब एमपीसीए की कमान संभालेंगे और 68 साल के इतिहास में सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने हैं.

सिंधिया परिवार की विरासत

मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ में सिंधिया परिवार का लंबा इतिहास रहा है। उनके दादा माधवराव सिंधिया और पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही पहले एमपीसीए अध्यक्ष रह चुके हैं। क्रिकेट में ग्वालियर के राजघराने का योगदान शुरू से रहा है – माधवराव सिंधिया न केवल अध्यक्ष बने बल्कि स्वयं क्रिकेटर थे.

उनके निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह पद संभाला और लंबे समय तक प्रदेश क्रिकेट को दिशा दी। अब तीसरी पीढ़ी के नायक के रूप में महानार्यमन का मैदान में आना न केवल नवाचार है, बल्कि वह युवा नेतृत्व और ऊर्जा का प्रतीक हैं.



निर्विरोध चुनाव और कार्यकारिणी

एमपीसीए अध्यक्ष पद के लिए नामांकन में महानार्यमन सिंधिया ही इकलौते उम्मीदवार थे, जिससे उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया। कार्यकारिणी के सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ - उपाध्यक्ष विनीत सेठिया, सचिव सुधीर असनानी, संयुक्त सचिव अरुंधति किरकिरे, कोषाध्यक्ष संजीव दुआ और अन्य सदस्य शामिल हैं। यह चुनाव दो सितंबर 2025 को वार्षिक साधारण सभा में औपचारिक घोषणा के साथ संपन्न हुआ. 

क्रिकेट प्रशासन में योगदान

महानार्यमन सिंधिया ने वर्ष 2022 से ग्वालियर संभाग क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई है। इसके अलावा, उन्होंने मध्यप्रदेश लीग (एमपीएल) की शुरुआत कर प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन किया। एमपीएल प्रदेश का पहला फ्रैंचाइज़ी टी20 लीग है, जिसे ग्वालियर से लॉन्च किया गया। यह राज्य के युवाओं को मंच देता है, जिससे युवा प्रतिभाएं उभर सकें.

एमपीसीए का आजीवन सदस्य बनने के बाद महानार्यमन ने अप्रैल 2024 में एमपीएल का पहला सीजन कराया। छोटे शहरों की प्रतिभाओं को नई पहचान दिलाने की उनकी योजना बहुत सराही गई.

अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकताएँ

महानार्यमन सिंधिया ने एमपीसीए अध्यक्ष बनने के बाद अपनी प्राथमिकताओं में युवा खिलाड़ियों की खोज, प्रशिक्षण, पारदर्शिता और आधुनिक सुविधाओं को शामिल किया है। उनकी सोच है कि जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक खिलाड़ी लाइए जाएं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई जाए.

उनके नेतृत्व में पहला बड़ा आयोजन 2025 महिला वनडे विश्व कप के मैचों की मेजबानी हो सकती है – इसके लिए होल्कर स्टेडियम समेत सभी सुविधाओं का उन्नयन जरूरी है। आने वाले समय में वे अत्याधुनिक तकनीक, फिजिकल और मेंटल ट्रेनिंग, युवा खिलाड़ियों के चयन में पूर्ण निष्पक्षता को अपनाएंगे.

चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ

एमपीसीए के सामने कई चुनौतियाँ हैं – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन, घरेलू ढांचे की मजबूती, जिलों से प्रतिभाओं को लाना, ग्राउंड्स की सुविधाओं को सुधारना, और ईमानदार प्रशासन। महानार्यमन को यह सब विरासत में मिला है, लेकिन उन्हें अपनी युवा सोच, उत्साह और आधुनिक दृष्टिकोन से संघ में नए सुधार लाने होंगे

प्रदेश के क्रिकेट प्रेमियों, खिलाड़ियों, कोच, स्टाफ और प्रशासकों को महानार्यमन से काफी उम्मीदें हैं। छात्र क्रिकेट, ग्रामीण खेलों और महिला क्रिकेट को भी वे नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 

निष्कर्ष : भविष्य का नया दौर

महानार्यमन सिंधिया का एमपीसीए अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाना माध्यम प्रदेश क्रिकेट के लिए नई ऊर्जा की सौगात है। सिंधिया परिवार की विरासत, युवा नेतृत्व और आधुनिक संसाधनों के साथ वे राज्य के क्रिकेट को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने की भूमिका निभाएंगे 

उनका यह सफर प्रदेश के खिलाड़ियों, प्रशासकों और क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा और उम्मीदों का प्रतीक होगा। अब देखना है कि महानार्यमन की कप्तानी में एमपीसीए कितनी ऊंचाइयों को छूता है और मध्यप्रदेश क्रिकेट के नये युग का आरंभ कैसे होता है. 

रविवार, 31 अगस्त 2025

जीत से बनी शुरुआत – भारत ने ताजिकिस्तान को हराकर बनाई फुटबॉल में नई उम्मीद


नई शुरुआत, नए जोश और एक यादगार जीत:

29 अगस्त 2025 को हुआ CAFA नेशंस कप में भारत-ताजिकिस्तान मुकाबला केवल एक मैच नहीं था, बल्कि भारतीय फुटबॉल के लिए उम्मीदों की नई कहानी भी थी। नए कोच खालिद जायमिल के नेतृत्व में खेले गए इस ग्रुप-बी के उद्घाटन मुकाबले में ब्लू टाइगर्स ने बढ़िया खेल दिखाते हुए ताजिकिस्तान को 2-1 से हराया। यह जीत खास थी क्योंकि यह हमारा विदेशी धरती पर दो साल बाद मिली पहली जीत थी, साथ ही इधर-उधर से ऊंची रैंकिंग वाली टीम को मात देना और भी महत्वपूर्ण था ।
शानदार शुरुआत – दो मिनट में हुआ डबल:

मुकाबले की शुरुआत जैसे बिजली गिरने जैसी थी: केवल पाँचवें मिनट में मुहम्मद उवैस के लंबे थ्रो-इन ने ताजिकिस्तान की रक्षा को चौंका दिया। बॉक्स में पिनबॉल की तरह गोल के पास घूमने के बाद अनवर अली ने कर्ज़ लिया और पहला गोल दागा । फिर किस्मत बदलते ही, 13वें मिनट के आसपास दूसरी बार मुहम्मद उवैस की पासिंग ने मोड़ा खेल—इस बार राहुल खेके की हैडिंग से बचावकर्ताओं को रोकना मुश्किल हो गया और सैंडेश झींगन ने सहज रूप से गोल कर दो-शून्य की बढ़त बना दी ।

ताजिकिस्तान की वापसी और भारत की मजबूती:

लेकिन ताजिकिस्तान ने जल्दी ही कड़ी प्रतिक्रिया दी। 22वें मिनट में शाहरॉम सामीव ने बेहतरीन खेल दिखाकर भारतीय डिफेंस में सेंध लगा दी और स्कोर 2-1 कर दिया । इसके बाद मैच काफी तनावपूर्ण हो गया, लेकिन भारतीय टीम ने अनुशासित और मजबूत रक्षात्मक खेल से मुकाबले को बराबरी पर रोके रखा।

गुरप्रीत सिंह संधू का हीरो जैसा प्रदर्शन:

इस बीच भारत के गोलकीपर और कप्तान गुरप्रीत सिंह संधू ने जैसे पूरे मैच में मचा दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण बचाव किए, लेकिन सबसे खास उनका पेनल्टी बचाव था—जब ताजिकिस्तान को पेनल्टी मिली थी, गुरप्रीत ने शानदार ढंग से गेंद को डाइव लगाकर किक से रोका और टीम की बढ़त बनाए रखी ।

कोचिंग का कमाल:

यह मुकाबला खालिद जायमिल के कोचिंग करियर की शुरुआत भी थी। उनका यह डेब्यू मैच शानदार रहा—टैक्टिक, अनुशासन और आत्मविश्वास की मिसाल बनी इस जीत ने भारतीय टीम और उनसे जुड़े सभी लोगों को नई ऊर्जा दी ।

इतिहास में दर्ज एक जीत:

यह जीत न केवल एक मुकाबला जीता गया, बल्कि इतिहास रचा गया। यह ताजिकिस्तान के खिलाफ भारत का दोहरे अंक में पहली जीत थी—भारत (FIFA रैंक 133) ने ताजिकिस्तान (FIFA रैंक 103) को मात दी । साथ ही यह विदेशी मैदान पर पिछले दो साल में मिली पहली जीत भी थी, जो मार्च 2023 विश्व कप क्वालीफायर में कुवैत पर हुई थी ।

आगे की चुनौतियाँ और सकारात्मक संकेत:

अब भारत की निगाहें ग्रुप-बी के अगले मुकाबलों पर हैं—विशेष रूप से ईरान और अफगानिस्तान से दो बड़े मैच होने वाले हैं, जो भारतीय टीम की मजबूत टीम वर्क और फिटनेस पर और अधिक भरोसा बनाएँगे ।
अनवर अली और सैंडेश झींगन की शुरुआत गोलों ने मैच की दिशा तय की।
गुरप्रीत सिंह संधू की पेनल्टी बचत और अन्य कई रक्षात्मक योगदान ने जीत की नींव रखी।
कोच खालिद जायमिल की रणनीति और उत्साह ने टीम को नया जीवन दिया।
यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं, भारतीय फुटबॉल के युग का प्रतीक है—जहाँ हम पीछे नहीं, बल्कि आगे बढ़ रहे हैं।


शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

भारत बनाम पाकिस्तान FIH प्रो लीग 2025-26: दो एशियाई दिग्गजों की 'महायुद्ध'

 
 भारत बनाम पाकिस्तान FIH प्रो लीग 2025-26 में हॉकी का महामुकाबला होने जा रहा है। ये सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि गर्व, जुनून और इतिहास की लड़ाई है। दोनों देशों के बीच हॉकी मुकाबले में जो उत्साह, तीव्रता और देशभक्ति नजर आती है, उसकी मिसाल दुनिया में दूसरी नहीं मिलती। यह वही टकराव है जिसमें हर खिलाड़ी की हर सांस, हर चीख और हर कदम देश के नाम होता है। FIH प्रो लीग 2025-26 में पाकिस्तान के वापसी से इस महासंग्राम को नया आयाम मिल गया है
 इतिहास का गवाह: हॉकी की जंग

भारत और पाकिस्तान के बीच हॉकी का इतिहास बेहद गूढ़ है। 1950 के दशक से लेकर आज तक, दोनों देशों ने 180 से अधिक बार मैदान साझा किया है। कभी पाकिस्तान आगे रहा, कभी भारत, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय हॉकी ने अपना दबदबा जबरदस्त तरीके से बढ़ाया है[6][7][8][9]।

| कुल मैच | भारत जीता | पाकिस्तान जीता | ड्रा |

| 181 | 67 | 82 | 32 |

हालांकि पाकिस्तान के नाम रिकॉर्ड अधिक जीतें हैं, मगर पिछले 10 मैचों में कहानी पूरी तरह बदल चुकी है।

पिछली 10 भिड़ंतों के परिणाम
पिछले 10 मुकाबलों में भारतीय हॉकी का प्रदर्शन दमदार रहा है। भारत ने नवीनतम दस मैचों में से 8 में विजय पताका फहराई, 1 मुकाबला ड्रा रहा और पाकिस्तान ने सिर्फ 1 मैच में जीत पाई। यह ट्रेंड दर्शाता है कि भारत ने न केवल तकनीकी बल्कि मानसिक रूप से भी पाकिस्तान पर बढ़त बना ली है।

पिछले 10 मैच परिणाम:

1. एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2024: भारत 2-1 पाकिस्तान  
2. जूनियर एशिया कप फाइनल 2024: भारत 5-3 पाकिस्तान  
3. एशियन गेम्स 2023: भारत 10-2 पाकिस्तान  
4. एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023: भारत 4-0 पाकिस्तान  
5. एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2022: भारत 1-1 पाकिस्तान  
6. सुल्तान जोहर कप 2022 (जूनियर): भारत 2-1 पाकिस्तान  
7. प्रो लीग 2021: भारत 3-1 पाकिस्तान  
8. प्रो लीग 2021: भारत 2-1 पाकिस्तान  
9. साउथ एशियन गेम्स 2016 (फाइनल): पाकिस्तान 1-0 भारत  
10. एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2021: भारत 3-2 पाकिस्तान

भारत ने बीते आठ सालों में कुछ सबसे बड़ी जीत पाकिस्तान के खिलाफ दर्ज की हैं, जिनमें 2023 के एशियन गेम्स का 10-2 का ऐतिहासिक स्कोर खास है।
नए युग की शुरुआत: FIH प्रो लीग 2025-26

इस बार पाकिस्तान ने फेडरेशन की स्पेशल इनविटेशन स्वीकार की है और वह प्रो लीग में भाग लेने लौट आया है। लीग के सातवें सीजन में दोनों टीमें कम से कम दो बार आमने-सामने होंगी। विश्व हॉकी के लिए यह ऐतिहासिक मौका है, क्योंकि भारत-पाकिस्तान की हॉकी प्रतिद्वंद्विता की वैश्विक पहुंच सबसे विशाल है।

FIH अध्यक्ष तैयब इक़राम ने कहा, “पाकिस्तान की वापसी में न सिर्फ एक मजबूत टीम का कमबैक है, बल्कि यह हॉकी लीग की लोकप्रियता और विस्फोटकता को बढ़ाएगा।
 ताकतवर टीम इंडिया

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय हॉकी टीम ने ड्रैग-फ्लिकिंग, फिटनेस और कम्युनिकेशन में असाधारण तरक्की की है। ओलंपिक, एशियन गेम्स और चैंपियंस ट्रॉफी में लगातार पदक जीतना इस बात का प्रमाण है कि टीम इंडिया अब सिर्फ एशिया ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी सिरमौर बनने को तैयार है। हार्दिक सिंह, हरमनप्रीत सिंह, मनप्रीत सिंह और विवेक सागर प्रसाद जैसों की जुझारू कप्तानी और रणनीति विरोधी टीम को पस्त कर देती है[6][12]।

 पाकिस्तान का चैलेंज
पाकिस्तानी हॉकी टीम का जलवा अपनी जगह रहा है—तीन बार की ओलंपिक विजेता और चार बार की वर्ल्ड कप चैंपियन। मौजूदा टीम ने क्वालिफायर से होकर प्रो लीग में लौटकर बड़ा जज्बा दिखाया है[1][2][3]। नवनियुक्त कप्तान और उनके युवा सितारे भारत के खिलाफ नया इतिहास रचने के इरादे से उतरेंगे।

 FIH प्रो लीग: ओलंपिक की राह
इस लीग का महत्व सिर्फ भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता तक सीमित नहीं; 2025-26 का प्रो लीग सीजन LA 2028 ओलंपिक के लिए क्वालिफायर है। हर मैच, हर गोल, हर अंक ओलंपिक टिकट के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।


भारत बनाम पाकिस्तान FIH प्रो लीग 2025-26 के मैच सिर्फ स्कोरलाइन भर नहीं हैं। वे करोड़ों सपनों, उम्मीदों और संघर्षों की कहानी हैं। दर्शकों को निश्चित ही मैदान पर रोमांच, कौशल और जोश की पराकाष्ठा देखने को मिलेगी। भारत का रिकॉर्ड, हालिया फॉर्म और अनुभव उसे इस बार भी प्रबल दावेदार बनाते हैं, लेकिन पाकिस्तान का अंदाज और अप्रत्याशित रणनीति खेल को कभी भी पलट सकती है। यानी असली रोमांच तो मुकाबले के दिन ही दिखेगा।

 

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

बीते दशक के 10 महानतम खेल क्षण

खेल का संसार भावनाओं, ऊर्जा और उम्मीदों का संगम है। हर दशक में ऐसे अनगिनत पल आते हैं जो न केवल खिलाड़ियों, बल्कि देशवासियों के दिल में अमिट छाप छोड़ते हैं। बीते दशक (2015-2025) में भारतीय खेलों ने कई ऐतिहासिक क्षण देखे हैं, जिनका उल्लेख करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। आइये जानते हैं, ऐसे 10 महानतम खेल क्षण, जिन्होंने आधुनिक भारत की खेल पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

 1. नीरज चोपड़ा का टोक्यो ओलंपिक (2021) में स्वर्ण पदक

टोक्यो ओलंपिक 2021 में नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला एथलेटिक्स गोल्ड जीता। उनका 87.58 मीटर का थ्रो न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि देश को एथलेटिक्स में पहली बार स्वर्ण पदक दिलाने वाला पल बन गया। इस जीत ने भारत को एथलेटिक्स में नए युग में प्रवेश कराया और नीरज चोपड़ा एक राष्ट्रीय हीरो बन गए।

 2. महिला क्रिकेट टीम का T20 वर्ल्ड कप फाइनल (2020)

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार 2020 के T20 वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल तक का सफर तय किया। भले ही फाइनल में टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई, लेकिन यह सिलसिला महिला क्रिकेट को लेकर देश में नई लहर लेकर आया। शेफाली वर्मा, स्मृति मंधाना जैसी युवा खिलाड़ी एक नई पहचान बनीं।

 3. पीवी सिंधु का बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण (2019)

पीवी सिंधु ने बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप 2019 में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। यह पहली बार था जब किसी भारतीय ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। उनकी यह जीत प्रेरणा का स्रोत बन गई और देश में बैडमिंटन की लोकप्रियता को चार गुना बढ़ा दिया।

4. विराट कोहली का 2018 में 10000 ओडीआई रन

विराट कोहली ने 2018 में 10,000 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय रन पूरे किए। वह सबसे तेज़, सबसे कम पारियों में यह उपलब्धि पाने वाले खिलाड़ी बन गए। उनका यह रिकॉर्ड भारतीय क्रिकेट की निरंतरता और श्रेष्ठता का प्रमाण बना।

 5. भारतीय टीम की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत, ऑस्ट्रेलिया (2018-19)

भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन पर टेस्ट सीरीज 2–1 से जीतकर इतिहास रच दिया। यह पहली बार था जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज अपने नाम की। कप्तान विराट कोहली और गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के प्रदर्शन को आज भी याद किया जाता है।

6. 2016 रियो ओलंपिक: साक्षी मलिक और पीवी सिंधु के पदक

रियो ओलंपिक 2016 में साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारतीय महिलाओं के लिए नया रास्ता खोला। इसी ओलंपिक में पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में रजत पदक जीता, वे ओलंपिक रजत पाने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं। दोनों महिला खिलाड़ियों ने देश को गौरवान्वित किया।

7. चेस में विश्व कप: विश्वनाथन आनंद और नये सितारे

विश्वनाथन आनंद लगातार विश्व शतरंज मंच पर भारत की पहचान बने रहे, वहीं 2020 के दशक में आर. प्रज्ञानानंदा, अरविंद चिदंबरम जैसे युवा ग्रैंडमास्टर्स उभरे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया और शतरंज के प्रति युवाओं की रूचि को और बढ़ाया।

8. भारतीय पुरुष हॉकी टीम का ओलंपिक ब्रोंज (2021)

भारत की पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में 41 साल बाद ब्रोंज मेडल जीतकर करोड़ों भारतीयों की आंखों में उम्मीद और खुशी के आंसू ला दिए। टीम का संघर्ष हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा बना।

9. मैरीकॉम का छठा वर्ल्ड चैम्पियनशिप टाइटल (2018)

मेगास्टार मुक्केबाज मैरीकॉम ने 2018 में छठीं बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतकर यह जगजाहिर कर दिया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। “मैग्निफिसेंट मैरी” का यह रिकॉर्ड अंतरराष्ट्रीय मंच तक सराहा गया।

10. भारतीय फुटबॉल: सुनील छेत्री की उपलब्धियां

भारतीय फुटबॉल के कप्तान सुनील छेत्री ने दशक भर में सबसे अधिक इंटरनेशनल गोल करने वाले एक्टिव फुटबॉलरों में दूसरा स्थान पाया। उन्होंने भारतीय फुटबॉल को नया सम्मान और पहचान दी, जिससे देश में इस खेल की लोकप्रियता बढ़ी।

निष्कर्ष

ये दस क्षण न केवल खेल मैदान पर अद्भुत थे, बल्कि भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा, उम्मीद और आत्मविश्वास का नया अध्याय लिख गए। बीते दशक के इन लम्हों ने खेल संस्कृति की परिभाषा को बदल दिया, और अब भारत अंतरराष्ट्रीय खेल क्षेत्र में नये मानकों को छू रहा है[1][2]।

इन ऐतिहासिक जीतों और रिकॉर्ड्स ने हर भारतीय खेल प्रेमी के मन को गर्व और उम्मीद से भर दिया — यही है खेल का असली जादू!

 

गुरुवार, 9 जनवरी 2025

88 सालो के बाद खो खो को मिलेगा एक बड़ा मंच

 88 सालो के बाद एक बार फिर से खो खो को फिर से के बड़ा मंच मिलने वाला है जहाँ सालो से किसका पप्रयास किया जा रहा था लेकिन अभी तक कोई भी कामयाबी नहीं मिली।  लेकिन अब इसकी घोषणा हो गई और अब कुछ ही दिनों में इसका का आगाज होने वाला है।  

इंटरनेट के द्वारा प्राप्त फोटो 
आज भारत के इस खेल को दुनिया भर में एक अलग की नज़र से देखा जा रहा है जहाँ इस काम को सच करने  के लिए आज कितने सालो से इसके अधिकारी दिन रात कामकर रहे है।  लेकिन अब जाकर इसमें  कामयाबी की एक पहली सीढ़ी चढ़ने के लिए तैयार है लेकिन इनके इस कामयाबी का सफर इतना आसान नहीं था इसे यहाँ  तक आने में लगभग 88 सालो का संघर्ष करना पड़ा तब जाकर उन्हें ये देखने वाले है।

खो खो सफर 

  महाराष्ट्र जैसे एक राज्य से लेकर आज विश्व स्तर पर आने में बहुत समय लग गया खो खो का नियम पहली बार 1914 में महाराष्ट्र के जिमखाने में इसका नियम बनाया गया  इसके बाद इसे सिर्फ महारष्ट्र में लग लग जिलों में इसे खेला जाने लगा और देखते ही देखते ही इस खेल की लोकप्रियता महाराष्ट्र में बढ़ती जा रही थी और इस खेल को अब सिखने के लिए धीरे धीरे  और भी राज्य से खिलड़ी और खेल  लग गए थे 

1936 बेर्लिन ओलंपिक्स 

देखते ही देखते 1936 का बर्लिन ओलिंपिक खेलो आगाज होने वाला था और दुनिया का सबसे बड़े तानाशाह हिटलर ने भारत के महराष्ट्र में स्थित हनुमान व्यायाम प्रचारक मंडल को एक जिम्मेदारी देता है की वो कुछ नए खेल और कुछ नए व्यायम को  दिखये जो आज तक किसी ने भी नहीं देखा हो , इसके बाद भारत से मलखंभ, खो - खो और भी कुछ अन्य खेलो और व्यायाम के साथ भारत के कुछ छात्र इसका प्रदर्शन के लिए जर्मनी के शहर बर्लिन गए और पहली बार विश्व को पहली बार और किसी इंटरनेशनल लेवल पर खो खो को पहचान मिली।  
आज इतने  सालों  फिर से एक बार खो खो और उसके अधिकारी ने एक मंच तैयार किया लेकिन इस बार बर्लिन नहीं बल्कि पूरा विश्व अब भारत आने के लिए तैयार है और इसका पूरा श्रेय इसके अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और इसके महासचिव महेंद्र सिंह त्यागी को जाता है जिनके दिन रात की मेहनत ने ये बता दिया की किसी भी खेल को पुनः शुरू  सकता है और फिर से बड़े स्तर पर लाया जा सकता है लेकिन उस सबके लिए इस साफ़ पाक नियत और परिश्रम करना जरुरी है आज उनकी मेहनत  रंग ला रही है 13 जनवरी से लेकर 19 जनवरी तक दिल्ली होने  जा रहा पहला खो खो वर्ल्ड कप और ये भारत  सम्मान का विषय है।  


आज इनके दिन रात के तप ने खो खो को एक नया आयाम मिल रहा है एक छोटे से राज्य  का खेल अब विश्व स्तर पर खेला जायेगा  दुनिया भर से सभी शानदार खिलाडी एक ही मैदान पर खेलने वाले है 
 






                                                                                                                                                                                                        



भारत ने बांग्लादेश को 41 रन से हराकर एशिया कप 2025 का फाइनल टिकट पक्का किया

शीर्षक: भारत ने बांग्लादेश को 41 रन से हराकर एशिया कप 2025 का फाइनल टिकेट पक्का किया परिचय आज का मुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी उत...