गुरुवार, 9 जनवरी 2025

88 सालो के बाद खो खो को मिलेगा एक बड़ा मंच

 88 सालो के बाद एक बार फिर से खो खो को फिर से के बड़ा मंच मिलने वाला है जहाँ सालो से किसका पप्रयास किया जा रहा था लेकिन अभी तक कोई भी कामयाबी नहीं मिली।  लेकिन अब इसकी घोषणा हो गई और अब कुछ ही दिनों में इसका का आगाज होने वाला है।  

इंटरनेट के द्वारा प्राप्त फोटो 
आज भारत के इस खेल को दुनिया भर में एक अलग की नज़र से देखा जा रहा है जहाँ इस काम को सच करने  के लिए आज कितने सालो से इसके अधिकारी दिन रात कामकर रहे है।  लेकिन अब जाकर इसमें  कामयाबी की एक पहली सीढ़ी चढ़ने के लिए तैयार है लेकिन इनके इस कामयाबी का सफर इतना आसान नहीं था इसे यहाँ  तक आने में लगभग 88 सालो का संघर्ष करना पड़ा तब जाकर उन्हें ये देखने वाले है।

खो खो सफर 

  महाराष्ट्र जैसे एक राज्य से लेकर आज विश्व स्तर पर आने में बहुत समय लग गया खो खो का नियम पहली बार 1914 में महाराष्ट्र के जिमखाने में इसका नियम बनाया गया  इसके बाद इसे सिर्फ महारष्ट्र में लग लग जिलों में इसे खेला जाने लगा और देखते ही देखते ही इस खेल की लोकप्रियता महाराष्ट्र में बढ़ती जा रही थी और इस खेल को अब सिखने के लिए धीरे धीरे  और भी राज्य से खिलड़ी और खेल  लग गए थे 

1936 बेर्लिन ओलंपिक्स 

देखते ही देखते 1936 का बर्लिन ओलिंपिक खेलो आगाज होने वाला था और दुनिया का सबसे बड़े तानाशाह हिटलर ने भारत के महराष्ट्र में स्थित हनुमान व्यायाम प्रचारक मंडल को एक जिम्मेदारी देता है की वो कुछ नए खेल और कुछ नए व्यायम को  दिखये जो आज तक किसी ने भी नहीं देखा हो , इसके बाद भारत से मलखंभ, खो - खो और भी कुछ अन्य खेलो और व्यायाम के साथ भारत के कुछ छात्र इसका प्रदर्शन के लिए जर्मनी के शहर बर्लिन गए और पहली बार विश्व को पहली बार और किसी इंटरनेशनल लेवल पर खो खो को पहचान मिली।  
आज इतने  सालों  फिर से एक बार खो खो और उसके अधिकारी ने एक मंच तैयार किया लेकिन इस बार बर्लिन नहीं बल्कि पूरा विश्व अब भारत आने के लिए तैयार है और इसका पूरा श्रेय इसके अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और इसके महासचिव महेंद्र सिंह त्यागी को जाता है जिनके दिन रात की मेहनत ने ये बता दिया की किसी भी खेल को पुनः शुरू  सकता है और फिर से बड़े स्तर पर लाया जा सकता है लेकिन उस सबके लिए इस साफ़ पाक नियत और परिश्रम करना जरुरी है आज उनकी मेहनत  रंग ला रही है 13 जनवरी से लेकर 19 जनवरी तक दिल्ली होने  जा रहा पहला खो खो वर्ल्ड कप और ये भारत  सम्मान का विषय है।  


आज इनके दिन रात के तप ने खो खो को एक नया आयाम मिल रहा है एक छोटे से राज्य  का खेल अब विश्व स्तर पर खेला जायेगा  दुनिया भर से सभी शानदार खिलाडी एक ही मैदान पर खेलने वाले है 
 






                                                                                                                                                                                                        



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